रोड का किनारा कहानी।। QnA Tree

 सुबह की नर्म धूप धीरे-धीरे सड़क पर फैल रही थी, और मैं एक खाली रोड के किनारे खड़ा था। चारों ओर गाड़ियों की आवाज़ें गूंज रही थीं, जैसे सब कुछ तेज़ी से चलता जा रहा हो। लोग अपनी मंजिलों की ओर दौड़े जा रहे थे, और मैं बस खड़ा था, कुछ महसूस करते हुए, कुछ सोचते हुए।


मेरे पास से तेज़ी से गाड़ियां गुजर रही थीं। हर कार में लोग थे, कुछ मुस्कुराते हुए, कुछ चेहरे पर तनाव के निशान के साथ। मैंने एक कार में बैठे एक आदमी को देखा, उसकी आंखों में चिड़चिड़ापन था, मानो वह समय के दबाव में फंसा हो। फिर मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी, जो तेज़ कदमों से चल रही थी। उसकी आँखों में उम्मीद और बेचैनी दोनों थे, जैसे वह कहीं से कहीं तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रही हो।

मैं उन सभी को घूरता हूं, उनका चेहरा पढ़ने की कोशिश करता हूं। क्या वे खुश हैं? क्या वे सच में अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए दौड़ रहे हैं, या बस किसी अनदेखे डर से भाग रहे हैं? मैं उन चेहरों में क्या खोज रहा था? क्या यह सिर्फ मेरी अकेलेपन की खोज थी, या फिर कुछ और?

एक औरत अपने बच्चे को लेकर सड़क पार कर रही थी। बच्चे के चेहरे पर मासूमियत थी, लेकिन औरत के चेहरे पर थकान। उसकी आँखों में वो गहरी चिंता थी जो किसी माँ की होती है। मैं उसे भी घूरता हूँ, उसकी चिंता, उसकी थकान, और उस छोटे से बच्चे के बारे में सोचता हूं, जो शायद उस पूरे दृश्य को एक नई आँख से देख रहा होगा।

फिर मेरी नजरें एक और आदमी पर पड़ती हैं, जो अपने मोबाईल में कुछ देख रहा था, उसकी आँखों में किसी तरह का शून्य था। क्या वह अपने जीवन के उद्देश्य को ढूँढ रहा था या फिर सिर्फ समय को काटने के लिए किसी चीज़ में खो गया था? मैं उसे घूरता हूं, उसकी चुप्प और अकेलापन समझने की कोशिश करता हूं।

मुझे एहसास हुआ, मैं शायद उन लोगों को नहीं, बल्कि उनके अंदर की उलझनों और सवालों को देख रहा था। मैं उनके चेहरे, उनके कदम, उनके हाव-भाव को घूरता था क्योंकि उनमें कुछ ऐसा था, जो मुझे मेरी खुद की दुनिया से बाहर निकलने का कारण दे सकता था। लेकिन फिर मुझे याद आया, ये लोग भी शायद खुद को और अपनी जगह को ढूंढ रहे होंगे, जैसे मैं।

इस तरह, सड़क पर खड़ा रहकर, मैं न सिर्फ दूसरों को देख रहा था, बल्कि खुद को भी खोज रहा था।

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