मैंने पहली बार घर से दूर पढ़ाई के लिए कदम रखा, जब मैं कक्षा 9 में था। उस वक्त मन में एक अजीब सा उत्साह और डर दोनों थे। नया स्कूल, नए दोस्त, और एक अलग वातावरण। वहां की हर बात मेरे लिए नई थी।
कुछ समय बाद, स्कूल ने एक टूर का आयोजन किया। हमें एक पुराने खंडहर हवेली में ले जाया गया। कहा जाता था कि वह हवेली रहस्यमयी थी, और लोगों ने वहां अजीब-अजीब घटनाओं का जिक्र किया था। हम सब दोस्तों ने इसे एक रोमांचक अनुभव समझा और पूरे उत्साह के साथ वहां गए।
हवेली में कदम रखते ही, मुझे एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। हालांकि मैं इसे नजरअंदाज कर आगे बढ़ा। अंदर की दीवारें टूटी हुई थीं, और हर कोने में अजीब-सी खामोशी थी। जैसे-जैसे हम अंदर गए, मेरे सिर में हल्का दर्द होने लगा, लेकिन मैंने किसी से कुछ नहीं कहा।
टूर के बाद, हम सभी वापस स्कूल लौटे। लेकिन उस रात, मुझे बुखार हो गया। धीरे-धीरे, मेरी तबीयत बिगड़ती चली गई। डॉक्टरों ने इसे सामान्य बीमारी बताया, लेकिन मेरे माता-पिता चिंतित हो गए। उन्होंने फैसला किया कि मुझे उस स्कूल से निकालकर किसी और जगह भेजना चाहिए।
कुछ समय बाद, मुझे एक दूसरे स्कूल में दाखिला दिलाया गया। यह स्कूल एक पुराने मैदान पर बना था, जहां पहले एक छोटा सा घाट हुआ करता था। यहां का वातावरण शांत और अलग था।
एक दिन, स्कूल की कैंटीन में मैंने खाना खाया। उस समय तो सब सामान्य लग रहा था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे फिर से वही कमजोरी और थकान महसूस होने लगी। अब मैं बीमार हूं, और सोचता हूं कि क्या यह सब सिर्फ संयोग है, या फिर खंडहर हवेली की कोई छाया अब भी मेरे साथ है?
यह सवाल आज भी मुझे परेशान करता है। लेकिन एक बात पक्की है, उस खंडहर हवेली का रहस्य शायद मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।